
एक छोटी सी सेहर की सीमा के बाहर एक पहाड़ था | और उसके आस पास बहुत सारे खाली जमीन थी, जहां पर कोई नहीं रहता था | सेहर में एक कलाकार रहता था, एक दिन वो कलाकार घूमते घूमते वो पहाड़ के पास पहंच गया. उसके मन में विचार आया पहाड़ से गिरे हुए पथरों से वो देवी और देवताओं की मूर्ति बनाएगा. वो रोज उस जगह आने लगा और पथरों को तरस कर सुंदर मूर्तियां बनाया.
मूर्तियां बकेही में बहुत सुंदर थी, धीरे धीरे ए बात पुरे सेहर में फैल गया. पहले कुछ लोग आए और धीरे धीरे बहुत सारे लोग उस स्थल पर मूर्तियां को देखने केलिए आने लगे. कुछ लोगों ने पैसे इकेठे करके कलाकार को दिया और कलाकार ने उन पैसों से एक मंदिर रूपी भवन बना लिया और उस मूर्तियों को वहा रख दिया. धीरे धीरे आस पास के गांव और सेहर में भी इस भवन और मूर्तियां की बात फैल गई. वो धार्मिक स्थल बन चुका था.
लोग दूर दूर से आने लगे , श्रद्धालु लोगों ने मूर्तियों के आगे धर्म वेट चढ़ाने लगे. दिन बित रहे और धन से टेजोरियान भरते चलीगई. उस स्थल के लोकप्रियता को देखते हुए अब लोग अपने अपने काम भी वहा पर जमाने लगें. जैसे कि टैक्सी बालों ने गाडियां चला दी, दुकान दारों ने खाने पीने कि सामान बेचने सुरु कर दिया. यहां तक भी बिल्डर्स ने घर बना के बेचना शुरू कर दिया. कुछ साल के बाद कलाकार बीमार पड़ गया. डोकॉर जॉच के बाद पता चला उसको भयानक बीमारी है. जब सब कुछ अच्छा चल रहा था तब इस भयानक रोग ए सोच कर कलाकार बहुत रोने लगा और भगवान को ताने देने लगा . कहता था”मैंने तुम्हारी इतनी सेबा की , तुम्हारे लिए इतना प्रचार किया बदले में तुमने ए दिया.”a तोह जरासर अन्याय है .
एक दिन रात को कलाकार को सपना आया , सपनो में भगवान उसके सामने आए और बोले तुम मुझे किस बात केलिए ताना दे रहे हो. तुमने मेरे नाम से भवन निर्माण करवाया और मूर्तियां भी बनवाया परन्तु याद करो वो दिन जब एक अनाथ बच्चा तुम्हारे पास रोते हुए आया तो तुमने उसे अपने गुलाम बना दिया.
याद करो वो भूखा और बूढ़ा भिकारी को जिसको तुमने आश्रय और खाने देने की वजह धके मारकर दूर भगा दिया. याद करो वो दिन जब बहुत बारिश हो रही थी और तुमने एक मां और उसकी छोटी बच्ची को मंदिर के सामने से यह कहकर भगा दिया”अब मंदिर बंद करने का समय हो रहा है.” वो दोनो बहुत देर तक बारिश में भीगते रहे . याद करो जब कुछ बुजुर्ग इकठ्ठे हो कर तुम्हारे पास धन के मदत मांगने आए थे जिसे वो गरीबों के लिए एक स्कूल चाहते थे। तुम्हारे पास धन बहुत था लेकिन तुमने कहा जाओ सरकार से मदत मांगो.
याद करो तुमने एक विधवा महिला को पूरे दिन काम करते थे और बदले मैं दो रोटी देते थे. भगवान ने कहा” इतने सारे बुरे कर्म के बाद भी तुम मुझे किस अधिकार से ताना दे रहे हो.”तुमने तुम्हारे कर्मो का फल भोगना ही पड़ेगा. तुमने जो दुष्कर्म किया है उसका दंड भी तुम्हे मिलेगा बास इस समय कलाकार की नींद खुल गई और उसके आंखें भी खुल गई. वो अपनी बुरे कर्मो केलिए बहुत सर्मिंदा था.
इस कहानी से हमे सीख मिलता है कि हम जो भी कर्म करते है उसका फल हमे किसी ना किसी दिन जरूर मिलता है. अच्छा कर्म का अच्छा फल और बुरे कर्मो का बुरा फल मिलेगा. इसलिए एक कहावत है”जैसा करोगे वैसा पयोगे”
Manasmita Swain