
ईश्वर जब सृष्टि किये तब पृथिवी में आदमी उरद जन्म दिये। बहत सारे गुण के साथ में मानब आदर निरादर हुआ। यौवन ले के आकर्षित हुआ।
रामपुर एक ग्राम था। हरा भरा पेड़ के शाथ में झरने केलिये अति सुन्दर दिखता था। भीम चौधरी उनके पत्नी अनीता चौधरी थे। शाश कुन्तला देबी शशुर भरद्वाज थे। शादी बहत साल बित जाने के बाद बचे ना होने के गम में अन्दर ही अन्दर रुते थे पति पत्नी। बहत सारे इलाज करने के बाद नाकाम हुए। ईश्वर पे सब कुछ शमर्पित कर के दिन गुजरने लगे।
रब सब देखते हे इम्तिहान की घड़ी खत्म होने के बाद फल देते हे। तब तक हौसला हारना नेहि चाहिए। बारा साल के बाद एक लड़की प्यादा हुआ। पुरि तरा एक काली लड़की।उसको देख के हैरान हुए हमारी घर में सब सफेद है। इश काली लड़की कहाँ से आई? उसके नन्ही मुन्ही चेहरा के उ आंख दिख के प्यार दिये। परन्तु पड़ोशन के ताने मारने कि बात दिल को घायल करता था। बैटी के नाम शुनयना रखे थे।
बैटी जितने बढ़ी उतने ही उनके गुण निकलने लगा। दादा दादी पूति को साथ में पकड़ के प्यारी प्यारी काहानी शुणा के हसी खुसि में ज़िन्दगी बिताये। शुनयना पढ़ने जब गैया तब बाप चलबसे। मा अनीता पति के जाने के गम में घर कैसे चलाएन्गे सोचने लगे। शाव शशुर बेटे जानके गम में खुद को शम्भाल् नेहि पाते थे। घर कैशे चलेगा? उ बात सुच काम करने बाहार जाएन्गे सुचे उस बक्त बहू ने बुला माजि बावुजि आप मत सुचिये! में हु ना!
पोड़सन बोलते थे जब से उ लड़की प्यादा हुआ हे तब से कुछ ना कुछ हो राहा हे। काली प्यादा हुआ हे खा जाएगी सबको। मा केलिये सन्तान हर हाल में आछा लगता हे | बेटी की भविशश्य केलिये काम किये।
जहाँ पे बाप नेहि रहते मा ने पेट के भूक पेट में रख के घर सम्भाल के आछे परवरिश करने का सोच रख के उस में कामियाप होने केलिये बहत मेहनत करने पड़ती हे। तब जा के बचे दुनिया में खड़ी होता है। उपर से बुरे सोचने बाले के नजर पेर खिचते हे जेसे आगे ना जा पाए!जब आगे खड़े होते तब बोलने बाले के बुलति बन्द होता है। तब तक शिने पे पथर रख के सेहने पड़ता हे।
शुनयना पढ़ाई में प्रथम हो के जब आई मा के पास, तब मा ने बोले तु मेरे आंख के ज्योति हो । बैटी चाहे कियुना जितने बड़ी कियु ना हो एक दिन शशुराल जाने पड़ता है। शादी केलिये तुम हां कर दे , तुझे ड़ुली में बिठा के में चेन के शांश लोन्गी! मा तो सिर्फ सन्तन खुसि देखने की दुआ मान्गंते है। मा के भावना के साथ ना खिलवाड़ हो सोच के शादी केलिये हां करदीया।
सौरभ नाम के एक लेड़का चुन के उसके साथ शादि करादियै।उ तो बाप के डर से शादी करलिया परन्तु जब उ काली लड़की दिखा पत्नी रुप में ग्रहण नेहि किया। उहि देख के अन्दर ही अन्दर रोने लगी। कन सी घड़ी में पैदा हुई बाप जाने के बाद ताने शुण के मा के गोद में बाढ़ी। अब पति काली बोल के नफरत करने लगे|
तन की सुरत कुछ पल दिखा के हमिसा केलिये हमसे निकल जाएगी। दिल की सफेद मरने तक साथ में रहेगी उ हर बक्त में काम में आएगा उ बात जो सोचते सकुन उस से कुई नेहि छिन् पाता! पति को प्यार के पल्लू में बान्धैगी कैसे उहि सोची ।उ एक शफेद लड़की के पीछे जान के कुछ नेहि बोले।
कहते चाहे जितने पास में माता पिता कियुना रेहे आछे संस्कार ना दै उ मा बाप जिते जी मुर्दा के बराबर हे। उस बचा परिवेश केलिये एक कीड़ा बनती हे। जो एक दिन ढल जाएगी। मां बाप रहते हुए चरित्र साफ तो ज्ञान कहाँ से आएगा दिल साफ होगी!आज से दुनिया के आंख में हम पति पत्नी परन्तु अन्दर से नेहि। जब सेही हुन्गे तब सब साफ दिखाई देगा तब मैं हूँ आई ना हो।
एसे कुछ दिन बित गैया शाश शशुर केहते हे बेटी पुता पुती कब दिखाउगी? कहाँ से लेकर आएगी? कैसे समझाइगी? उहि सोच मेंरहती थी रात दिन। जहाँ पे पति पति ना हो पत्नी किसके पास गम बोल कर दिल को तसलि देगी?जब धोखा मिला उस लड़की से बिबि के पास लोटे। शुनयना तब सबक सिखा के ग्रहण करलि । तब बिबि आछी दिखाई देता है। केहते हे पत्नी के प्यार में स्वर्ग मिलती है ।
शान्ति लता परिड़ा
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