
भाग 1
आज कल के व्यस्त जीवन में सच्चा प्यार कहाँ पे मिल्ता है | ऐसे एक दिलजस स्टोरी आज हम आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं
एक लडका था जीसका नाम दीपक था वो एक गाव में रहता था | उसके घर पास एक लडकी अपनी परिवार के साथ रहती थी, लडकी कि नाम अनु थी लडकी के पिता एक स्कूल में टीचर थे, दिपक के घर के पास रहते थे | उस वक्त अनु कॉलेज में पढ़ती थी, अनु रोज कॉलेज जाती थी तो दिपक उसे देखता था, धिरे धिरे वो अनु को पसन्द करने लगा | दिपक उसे देखने की लिए रोज उसकी घर के पास खडा होता था, अनु उसे देखती थी और चली जाती थी, जब रोज एसे दिपक खडा होता था तो अनु को ए सब अच्छी नहीं लगती थी, वो अपनी घर में कहती है तो उनके पिता जी को गुस्सा आ जाता है और वह दिपक को गाली देते हैं |
दिपक को बहुत बुरा लगा वो सोचा की “में तो उसे प्यार करता हूँ” उसे जब लगता है की में उसे परीसान करता हूँ तो मुझे एसे नहीं करना चाहिए” | दिपक अपने दोस्तों को केहेता है “में अनु को प्यार करता हूँ लेकिन उसे कह नहीं पता” हूँ | और उसकी पिता के बारे में बताया, दोस्तों ने कहा ठिक है तु परिसान मत हो हम है ना कुछ करेंगे | दिपक के एक दोस्त के बेहन अनु के साथ पडती थी, तो उसने दिपक के बारे में बताने के लीए अपनी बेहन को कहा | वो थोडी बहुत अनु को केहेती थी, कुछ समय बाद दिपक गायब हो जाता है |अनु मन ही मन उसे ढूंनती थी, कुछ समय बाद दिपक आ जाता है, अनु धिरे धिरे दिपक के बारे मैं जानने के लिए उसके दोस्त की बेहन को पुछती थी|
एक बार अनु कॉलेज जा रही थी तभी दिपक को देख कर मुसकुराते हुए चली गयी, दिपक खुश हो जाती है | अनु उसकी दोस्त से दिपक का फोन नंबर लेकर कल करती है और बोलती है “दिपक में अनु बोल रही हू उस दिन के लिए मुझे माफ करदो मुझे पता नहीं था पिता जी इतनी गुस्सा हो जाएंगे “दिपक ने कहा उस वक्त मेरा गलती था ” वो सब छोडो क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी अनु मुसकुराते हुए हाँ कहा, और दोनों दोस्त बनते हैं
रोज फोन पे बात करते थे, धिरे धिरे दोस्ती गहरा होता गया, छोटी से छोटी प्रॉब्लम शेयर करते थे, एक दिन दोनों प्रोपोज़ करने के लिए सुचे ,पहले अनु कल करती है और दीपक को प्रोपोज़ करती है,दिपक बहुत खुश हो जाता है और उसे हाँ बोलता है एसे ही सब अच्छा चलता है ,एक दिन दिपक का नौकरी हो जाता है ईसलिए उसे बाहर जाना पड़ता है अनु बहुत उदास हो जाती है सुन के तभी दीपक उसे समझा कर नौकरी पे जाता है,दीपक रोज कॉल करता है और अनु से बात करता है,एसे ही कुछ दिन बित जाता है,दीपक ऑफिस मैं ज्यादा काम होने की वजह से व अनु से अच्छे से बात नहीं कर पाता,अनु पढाई पे ध्यान देती है और उसे जब समय मिलता था तब दीपक के पास समय नहीं होता था |
Gradually………….
Manasmita Swain
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