
घरती पे बहत सारे ईनशान रहते हैं जो अलग अलग राय देने लगते है। कुछ राय ऐसे रखते मानब समाज बना के सकुन के साँस लेने के बदले मत को आँखों के सामने हर रुज देखके जीन्देगी से रुठ जाते, उर जो हिमत रखके टक्कर देते कन कैसे किससे तुफे में पाते सिर्फ उनको पता है ।नये एक समाज बनाते उ जानते जिन्देगी किया है?
आछे सोच रखने से खुद आछे होते एक आछे घर आछे समाज बनापाते तब जा के बोहू बैटी बिबि हसते है। आन्गन में खुसिया की चमचमकता फुल खेलने लगती है। बैटी बचाउ बैटी पढ़ाउ बैटी बढ़ाउ बोलने से हो जाएगी किया? जब मुंह बोलने बात से ना रेह के काम में बदल जाएंगी तब सुस्थ समाज बन जाएगी।
श्रेणी कक्ष पे कक्ष उठ जानेसे किया मिलेगी? जब दिमाग में ज्ञान ना रहै ! समाज में बेटी कैसे जिन्दा रहेंगे जब उसको कौक से मिटादेन्गे। एक लड़की आगे कैसे जाएन्गे जब उसको रास्ते में चलने ना देन्गे। एक बीबी दुनिया के बारे में कैसे सुचेन्गै जब शशुराल में शोषित हुए!
बहत सारे पुरखे लोग रहते हैं जो केहते है आज काल के जमाने में लेड़की लड़की तरा ना रहते है लड़के के साथ बराबर होने चाहते है। पर उ खुद ही भुल जाते उ जब पैदा होते हैं एक मा की कोक् जरुरत होती है। जब मरीज होते हैं तब चिकित्सक बनके सेबा करते हैं। जब भुक लगती है तब खाना पक्के खिलाते है। यौवन आने के समय एक बीबी बन के प्रेम के पल्लू में छुपाके रखती है।
पेर में जोते बन के काण्टं खुद के शरीर में लगाके खुनखराव हो के सुरक्षा देती है। सायद उसलिये अरद ही अरद होते है। मकान देने से घर बनाती है।
रघुपुर एक छोटा सा गाँव हैं। जहाँ पे लड़कियां आधे से बहत ज्यादा अनपढ़ रहते है। लैड़की पाठ पढ़ने से कुल के मान मर्यादा खत्म हो जायेगा। एसे सोच पे रहते हे। सेहर में उ सब होते गाँव में नेही चलेगा। ऐसे स्बर उत्तोलन करते है।
घनश्याम उ सब कुछ सुनते नेही। उनके दो परी जैसे लड़की। दोनों को पढ़ानै केलिये गाँव से प्राथमिक स्कूल में दाखिल करा दिये। बेटा नेहि तो किया हुआ? परी, प्राप्ति दोनों को पढ़ाने की ठान लिये।पति से आए सुक्राणु से लड़का लड़की प्यादा होते है। पत्नी राधा बहत खुसि हुए कि हमारी लड़की पढ़ने केलिये गांव से लेकर सेहर तक जाएन्गे। घनश्याम जी के नकरी में घर आछी तरा चलती है।कभी कम पड़े तो सम्भल लेते थे।
परी जब पढ़ने जती है तब प्राप्ति पेहला कक्ष में थी। छुटि सी बची पाठ खेलकुद में बहत आछा करता था। मास्टर ने बोले घनश्याम जी आप की दोनों बेटियाँ बहत आछे पढ़ते हैं। मास्टर जी के मुंह पे उ लक्स शुन के पिता के दिल को सकुन मिला। दोनों बेटी एक साथ पढ़ने जाते थे उर साथ में भी आते थे।
एक दिन स्कुल के पुजा मोहोत्सब था।परी रुक गेई काम करने केलिये स्कुल में! प्राप्ति आई घर से थोड़ा दुर है घर उ अकेली घर चला जाएगी बोल के चल आई।
जहाँ पे आदमी के सोच हैवान होती है फुल खिलने से पहले हैवान के चुन्गुल में फस के मिट जाते हे। उर बाद में केहते है उ गलत थी हम सेही थे उर गंगा की तरा पवित्र है। जो लढ़ के साबित करते सांस आसमान में चला जाती है।
प्राप्ति लटने बक्त घर को कार्तिक शराब पीकर चलती है। प्राप्ति को देख कर उठालिया एक पेड़ के नीचे खोद के मर्दानगी दिखाराहा था।छोटी सी बची कुछ पल में आँख बुज दी।उसकी मत दिख के गाढ़ा खोदाई कर के प्राप्ति को मिटि के अन्दर सोला दिया। आखिर में उ सच में किया पुरुष है?
घनश्याम राधा मा बाप दोनों जब परी को देखे प्राप्ति काहाँ है पूछने से उ पेहले आज चल आई। पुजा स्कुल में होगी उसलिये हम सजाने केलिये रुक गेई। बैटी घर ना लटने कि बजाए निकल पड़े ढुण्डनै केलिये। बहत ठुण्डने के बावजूद नेहि मिला!परी तब ठुण्डने कैलिये गाँव के झिल्ली के पेड़ पौधे में जा कर ठुण्डी। मिटि खुदाई देख के उसको सक लगी! माता पिता को पुकार के मिटी खुदाई किये! तब उहाँ पे देखे प्राप्ति की लाश!
कैसे हौआ कन किया आदमी के नाम पे हैवान कन एसी फुल सी बची को मुर्छा बना दिया। तब गांव के पंचायत ने ढुण्ड के निकले कार्तिक दोषी है।पंचायत को रुपया दे के खरीद लिया हम अमिर है हमारा कन किया कर लेगा? तब घनश्याम देखे न्याय नेहि मिलेगा जो करना है तो हम करेन्गे!
कार्तिक जहाँ पे खड़ी है घनश्याम बाबू एक तलवार से काट के मार डाले। उर पुरे बस्ती के लोगों के सामने बोलै जो उरद से प्येदा हो के उ उरद को इजत ना कर पाया उ समाज में जिने की कुई हक् नेही।जब बेटी थोड़ी बड़ी हो जाती हे उ गलत है। उसके पोसाक परिघान सेही नेहि था। जब इस बचे को बलात्कार होता है उ किया छुपाइगी?
हमारा नजरिया सेही रखेन्गे नेहि आछा दिखाइ देगा कैसे? सेही सोचेनागे नेही तो सुस्त समाज होन्गे कैसे?दिन में बेटी बहु के जिना हाराम हो जाएगी।सराप पिये तो सराब हमको पिइ दिये तो सराब कियु छुएँ?आज उसकी मत दिख के ऐसे हरकत करने से पहले लाखों बार सोचेगा हम किया है?आखिर में किया घनश्याम को बेटी मिली? कैसे सोच किया करने में कन कियु मजबूर होते? धनश्याम पुलिस के हिरासत में जा के कुछ साल के बाद लटे। उ खुनि कियु बने?
शान्ति लता परिड़ा
एक नारी की जीवन ऐसा ही था🤱 मां बहन पत्नी दोस्त फरिश्ता कैसे हर रिश्ता आते अच्छे से निभाया था लेकिन इतना सब करने के बाद बावजूद भी यह आदमी मां बहन नजर में देखने के लिए तैयार नहीं था🙇💐🌆🏠✔️🤱